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Showing posts from August, 2019

Character of sea just like father... समुद्र हूँ मैं समुद्र हूँ ...'''!! Pawan kumar Yadav.

सृष्टि का अखंड भाग हूं मैं  वर्षा का  स्रोत सार हूं मैं  पथ मेरा दुर्गम ,  दुरभेद्य हूं मैं फिर भी मुझ में कोई मद नहीं गंभीर से भरा हूं मैं , समीर से घिरा हूं मैं  समुद्र हूं मैं, समुद्र हूं        कुदरती रत्नों से रचा हूँ मैं       इस लिए लुटेरों से घिरा हूं मैं     कभी-कभी सोचता हूं , इस दुनिया     को घसीट लू अपनी  लहरों में मैं,   पर अपनी मर्यादा से बधां हू मैं     समुद्र हूँ मैं ,समुद्र हूँ      अपनी मौज में रहता हूँ ,अपनी धुन में बहता हूँ     घूंट  आंसुओं को पीकर , सब दर्द सहता  हूं     पिता, सा हूँ मै  किसी से कहने नहीं जाता हूँ    तुम्हारे समझ से परे हूं मैं, इतना खारापन से भरा हूँ मैं        समुद्र हूं मैं, समुद्र हूँ,  समुद्र हूँ, मैं समुद्र हूँ ।।                                     ...

जश्न ए आजादी ''''''''!!! Best poem by Pawan Kumar Yadav

  हर हाथों में झंडे हर दिशाओं में  गूंज रहे हैं नारे   हर गांव  हर गली हर सड़क पर जश्न मना रहे हैं आजादी के दीवाने    बापू नेहरू बोस अमर रहे  की लगा रहे हैं नारे    कश्मीर से कन्याकुमारी  तक मां भारती के  गूंज रहे हैं  जयकारें      भव्य केसरिया फहर रहा है अवनि से अंबर तक     भारत का मस्तक चमक रहा है  सड़क से संसद तक       भारत की इस समरभूमि पर ध्वज केसरिया क्रांतिवीरो का          बलिदान बयां करेगा अनंत काल तक अनंत काल तक                                      अनंत काल तक।।                                                       पवन कुमार यादव ।