Character of sea just like father... समुद्र हूँ मैं समुद्र हूँ ...'''!! Pawan kumar Yadav.


सृष्टि का अखंड भाग हूं मैं
 वर्षा का  स्रोत सार हूं मैं
 पथ मेरा दुर्गम ,  दुरभेद्य हूं मैं
फिर भी मुझ में कोई मद नहीं
गंभीर से भरा हूं मैं , समीर से घिरा हूं मैं
 समुद्र हूं मैं, समुद्र हूं


       कुदरती रत्नों से रचा हूँ मैं
      इस लिए लुटेरों से घिरा हूं मैं
    कभी-कभी सोचता हूं , इस दुनिया
    को घसीट लू अपनी  लहरों में मैं,
  पर अपनी मर्यादा से बधां हू मैं
    समुद्र हूँ मैं ,समुद्र हूँ

     अपनी मौज में रहता हूँ ,अपनी धुन में बहता हूँ
    घूंट  आंसुओं को पीकर , सब दर्द सहता  हूं
    पिता, सा हूँ मै  किसी से कहने नहीं जाता हूँ
   तुम्हारे समझ से परे हूं मैं, इतना खारापन से भरा हूँ मैं
       समुद्र हूं मैं, समुद्र हूँ,  समुद्र हूँ, मैं समुद्र हूँ ।।

                                     । पवन कुमार यादव ।

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