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वीर हो तुम बढ़े चलो written by Pawan Kumar Yadav

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 वीर हो तुम बढ़े चलो,चढ़़े चलो, चढ़े चलो   हाथ अस्त्र न हो भले फाद जाओ पर्वत हो गर समक्ष खड़े  पाव में चाहे शूल गडे़, फिर भी एक पल ना हो खड़े  पाव कि  बेड़ियाे को तोड़ते चलो वीर हो तुम बढ़े चलो, चढ़े चलो चढ़े चलो। दुश्मन हो पाव तले जब जिद आसमान चढ़े मत रूक एक पत्र छाँव तले   सूरज जब हो ढले हाथ में  चिराग लियें चलो गीत जीत की गातें चलो वीर हो तुम बढ़े चलो, चढ़े चलो चढ़े चलो । - पवन कुमार यादव 

Best motivational poem ' टूट कर अभी बिखरा नहीं हूं मैं"" written by Pawan Kumar Yadav .

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'टूट कर अभी बिखरा नहीं हूं मैं  अभी मेरे अरमान बाकी हैं माना पंखों, में थोड़ा थकान है मेरे फिर भी अभी मेरा इँम्तिहाँ बाकी है ....  किसने कहा तुमसे, कि सब्र मेरे टूटने लगें  सपने मेरे आंसुओं सा  ढलने लगें  मैं उस मिट्टी का जन्मा, वृक्ष नहीं  जिसे गमलों ने सींचा है  मरुभूमि का वृक्ष हूं मैं...  जिसे जलती रेंतो ने सींचा हैं  बिना धरा पर गिरे बोलो चलना किसने सीखा है बिना रणभूमि में पग रखें, बोलो रण किसने जीता है....  बाधाएं आई हैं तो टूटेंगीं  ज़िद का  ज्वार हैं मुझमे , देखता हूं ये कब तक रोकेंगी...  देखना एक दिन इसी उर से,  जीत की धारा फूटेगीं      जीत की धारा फुटेगीं।।                                        - पवन कुमार यादव ।