वीर हो तुम बढ़े चलो written by Pawan Kumar Yadav










 वीर हो तुम बढ़े चलो,चढ़़े चलो, चढ़े चलो 

 हाथ अस्त्र न हो भले

फाद जाओ पर्वत हो गर समक्ष खड़े 

पाव में चाहे शूल गडे़, फिर भी एक पल ना हो खड़े 

पाव कि  बेड़ियाे को तोड़ते चलो

वीर हो तुम बढ़े चलो, चढ़े चलो चढ़े चलो।



दुश्मन हो पाव तले

जब जिद आसमान चढ़े

मत रूक एक पत्र छाँव तले 

 सूरज जब हो ढले

हाथ में  चिराग लियें चलो

गीत जीत की गातें चलो

वीर हो तुम बढ़े चलो, चढ़े चलो चढ़े चलो ।

- पवन कुमार यादव 







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