Motivational Poem (चलना पड़ता है) written by Pawan Kumar Yadav
जब ज़िम्मेदारी कि चोटे
हर सुख चैन छीन लेती हैं
जब तानों के सुर
कानो में गूंज गूंज कर
आंखे भर देती हैं
तो हंसते हंसते निज
हाथो पर अंगारों को
दलना पड़ता है
बंद किस्मत के दरवाजों को
संघर्ष कि धार से
खोलना पड़ता है
मंजर कैसा भी हो
बिस्तर छोड़ निकलना पड़ता हैं
चलना पड़ता है
फिर चलना पड़ता है।
–पवन कुमार यादव
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