जिद पर आ जाओ फिर देखो (पवन कुमार यादव)
जिद पर आ जाओ फिर देखो
कैसे सूर्य कि किरणे
अंधेरे को भेदा करती
कैसे एक छोटी सी पतवार
सागर को लांघा करती है
कैसे एक नन्ही सी चिड़िया
आसमान छूने का दमखम रखती है
कैसे एक पपीहा वर्षों प्यासा रहता हैं
कैसे समुद्री तूफानों से
एक गोताखोर नहीं घबराता हैं
जिद पर आ जाओ फिर देखो
कौन तुम्हे हराता हैं।
कौन तुम्हे हराता है।
लेखक
पवन कुमार यादव
Comments
Post a Comment