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राष्ट्र आज उनकी जय बोल

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लड़ते लड़ते वो मिट गए हंसते हंसते फंदे पर झूल गए  मगर नही मांगा जीवन मुंह खोल राष्ट्र आज उनकी जय बोल।। 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 अमर असंख्यक बलिदानों में जो कूद पड़े तूफानों में छोड़ अमृत का प्याला पी लिया विष का घोल राष्ट्र आज उनकी जय बोल।। 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 टूट कर भी लड़ी जिनकी भुजाएं देवता भी गए उनकी अमर गाथाएं जिनके कारण गूंज रहीं है तेरे मुख से आजादी के बोल राष्ट्र आज उनकी जय बोल।।  ✍️ पवन कुमार यादव ❤️       उत्तर प्रदेश पुलिस       

Motivational shayri

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लाख तूफान टकराए हिमालय में कभी सुराख नहीं हो सकता अगर किरदार तेरा सच्चा है             तो किस्मत में भी आग लग जाए                तू राख नही हो सकता। ✍️ पवन कुमार यादव 

Motivational Poem (चलना पड़ता है) written by Pawan Kumar Yadav

 जब ज़िम्मेदारी कि चोटे हर सुख चैन छीन लेती हैं जब तानों के सुर कानो में गूंज गूंज कर आंखे भर देती हैं तो हंसते हंसते निज हाथो पर अंगारों को दलना पड़ता है बंद किस्मत के दरवाजों को संघर्ष कि धार से  खोलना पड़ता है मंजर कैसा भी हो बिस्तर छोड़ निकलना पड़ता हैं चलना पड़ता है फिर चलना पड़ता है। –पवन कुमार यादव 

Motivational poem by pawan kumar yadav 💪💪जिंदा वही है जिसका प्रयास जिंदा है

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जिंदा वही है  जिसका प्रयास जिंदा है  लड़ता वही हैं  जिसमे आग जिंदा है और जीतता वही हैं  जिसमे ख्वाब जिंदा है  बाकी तो अनायास  पंख फड़फड़ाते है  देखकर समंदर को  साहिल पर ही मर जाते हैं  जिंदा तो वो भी  केवल उनमें सांस जिन्दा है  जिंदा वही है   जिसमें प्रयास जिंदा है। – पवन कुमार यादव

Love poetry

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जब जब मुझे याद आती हैं उसकी तब– तब तू आंसू बनकर मेरे मेरे पलकों पर ठिठकी। ©️Pawan yadav

जिद पर आ जाओ फिर देखो (पवन कुमार यादव)

जिद पर आ जाओ फिर देखो   कैसे सूर्य कि किरणे अंधेरे को भेदा करती कैसे एक छोटी सी पतवार  सागर को लांघा करती है कैसे एक नन्ही सी चिड़िया  आसमान छूने का दमखम रखती है कैसे एक पपीहा वर्षों प्यासा रहता हैं कैसे समुद्री तूफानों से  एक गोताखोर नहीं घबराता हैं जिद पर आ जाओ फिर देखो कौन तुम्हे हराता हैं। कौन तुम्हे हराता है।             लेखक      पवन कुमार यादव    

भगवान राम पर कविता, पवन कुमार यादव

 शौर्य ,साहस ,बलिदान शील, मर्यादा ,स्वाभिमान अद्भुत आलौकिक   मुखमंडल  सुमेरू  सदृश  वक्षस्थल  मृदुभाषी ,भक्तवत्सल  करुण सागर कमलनयन  धनुर्धारी असुर निकंदन  सादर प्रणाम, तपी त्यागी दशरथ नंदन ।। -पवन कुमार यादव